अमेरिका में मिशिगन यूनिवर्सिटी के वनस्पति वैज्ञानिकों ने सालों पुराने बीज के अंकुरण की असल वजह का पता लगा लिया है। यहां दुनिया के सबसे पुराने प्रयोग में से एक आज भी चल रहा है। 142 साल पहले वनस्पति विज्ञानी प्रो. विलियम जेम्स बील ने यूनिवर्सिटी कैंपस में 20 बोतल में 21 अलग-अलग किस्म के बीज को भरकर जमीन में गाड़ दिया था।
इनमें काली सरसों, सफेद तिल, तिनपतिया घास और कई तरह के सदाबहार पौधों के बीज शामिल हैं। प्रोफेसर हर पांच साल में इन बातलों में रखे गए हजारों बीज में से 5-5 बीज निकालकर उसे उगाते हैं और यह पता लगाते हैं कि सालों पुराने होने के बावजूद यह बीज अंकुरित हो पाते हैं या नहीं। कभी-कभी कई साल गुजर जाने के बाद भी यह अंकुरित नहीं होते हैं।
यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों ने 5 साल बाद बुधवार रात इसे प्रयोग के लिए फिर एक बार निकाला। दरअसल प्रो. बील ने साल 1879 में इस प्रयोग को इसलिए शुरू किया था, ताकि यह पता लगाया जा सके कि पौधे जमीन पर कितने समय तक अस्तित्व बनाए रख सकते हैं। साथ ही ऐसी क्या चीजें हैं, जो उन्हें जमीन में उगने के लिए प्रेरित करती हैं और क्यों कुछ बीज 50 सालों तक भी अंकुरित नहीं होते हैं।
प्रो. बील इन तीन प्रयोग के जरिए किसानों की मदद करना चाहते थे। प्रो. बील ने जब इस रिसर्च की शरूआत की थी, तब उसकी थ्योरी टीम को देकर गए थे। पहले कुछ सालों में के प्रयोगों के दौरान 10-15 साल बाद बीज अंकुरित हो गए थे।
बोतल रात में ही निकाली जाती है ताकि सूर्य की रोशनी से बीज पर न पड़े
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