23 साल के ऋषभ पंत IPL के 14वें सीजन में दिल्ली कैपिटल्स की कप्तानी करते दिखेंगे। वे IPL में कप्तानी करने वाले पांचवें युवा प्लेयर हैं। इससे पहले विराट कोहली और स्टीव स्मिथ ने 22 साल और श्रेयस अय्यर और सुरेश रैना ने 23 साल की उम्र में अपनी-अपनी टीम की कप्तानी की है। हम आपको 5 पॉइंट बता रहे हैं कि क्यों ऋषभ पंत दिल्ली कैपिटल्स के लिए अच्छे कैप्टन साबित हो सकते हैं...
1. पंत को कप्तान बनाने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता
कुछ बेहतरीन सीरीज की वजह से पंत का आत्मविश्वास अभी बढ़ा है। पिछले 4 महीनों में पंत अपने गेम को अलग ही लेवल पर ले गए हैं। पहले तो उन्होंने अपनी बल्लेबाजी में सुधार किया। फिर इंग्लैंड के खिलाफ विकेटकीपिंग स्किल्स से सबका दिल जीत लिया। उनके ट्रांसफॉर्म होने की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उनकी A टीम के खिलाफ नवंबर में हुए प्रैक्टिस मैच से हुई। इस मैच में पंत ने शतक जड़ा था।
इसके बाद सिडनी टेस्ट में उन्होंने लगभग हारे हुए मैच को ऑस्ट्रेलिया के कब्जे से निकालकर भारत की ओर मोड़ दिया। सिडनी में चौथी पारी में जहां बल्लेबाजी करना बेहद मुश्किल था, वहां वे 118 गेंद पर 97 रन बनाकर आउट हुए और यह मैच ड्रॉ रहा। जो काम वे सिडनी टेस्ट में नहीं कर पाए, वह काम उन्होंने ब्रिस्बेन के गाबा में हुए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे टेस्ट में कर दिया। गाबा में पंत चौथी पारी में 138 गेंदों पर 89 रन बनाकर नाबाद रहे। इसकी बदौलत भारत ने 32 साल बाद गाबा में ऑस्ट्रेलिया को हराकर इतिहास रचा था। जब वे ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए गए थे, तो उन्हें टीम में विकल्प विकेटकीपर के तौर पर देखा जा रहा था।
जब वे वापस आए तो वे देश के सबसे पॉपुलर बल्लेबाज बन चुके थे। ऑस्ट्रेलिया में उनके विकेटकीपिंग की भी खूब तारीफ हुई। इसके बाद इंग्लैंड के पिछले महीने हुए टेस्ट सीरीज में टर्निंग ट्रैक पर उन्होंने विकेट के पीछे कई शानदार कैच और स्टंप्स किए। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया सीरीज ने दर्शाया कि वे अब एक मैच्योर प्लेयर बन चुके हैं। इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टेस्ट में लगाया गया शतक (101 रन) यह बताने के लिए काफी था कि वे कंडीशन को पढ़ने और उसके मुताबिक बल्लेबाजी करने में महारत हासिल कर चुके हैं।
2. पंत की ताकत है अग्रेसिव माइंडसेट और पॉजिटिव अप्रोच
श्रेयस अय्यर ने पिछले 2 सीजन में दिल्ली कैपिटल्स को अलग ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। उनका नहीं रहना वाकई दिल्ली के लिए बड़ा नुकसान है। पर पंत उनकी कमी पूरी करने के लिए सबसे सही ऑप्शन थे। श्रेयस की तरह पंत भी पॉजिटिव सोच और अग्रेसिव माइंडसेट के लिए जाने जाते हैं। पंत की अग्रेसिव सोच उनकी बल्लेबाजी में भी झलकती है। ऐसा नहीं कि वे बिना सोचे समझे शॉट लगाते हैं। उनकी बैटिंग में साहस और स्मार्ट शॉट सिलेक्शन का कॉम्बिनेशन दिखता है।
इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में भारत के टॉप ऑर्डर के विफल होने के बाद भी अग्रेसिव क्रिकेट खेली और अच्छे शॉट्स से रन बटोरे। जिस पंत को अभी हम देख पा रहे हैं, वह पिछले पंत से काफी अलग है। दिल्ली की टीम को एक ऐसे लीडर की जरूरत थी, जो कुछ मैच में विफल होकर भी सोच से पॉजिटिव रहे। पंत में यह सारी खूबी मौजूद है।
3. धोनी की तरह एक्सपेरिमेंट करते रहते हैं पंत
2019 में जब पंत को कुछ मैचों के लिए बिठाया गया था, तब उनकी बल्लेबाजी में समझ की कमी दिखती थी। वे कोई खराब शॉट खेलकर आउट होते थे। लोग उन्हें सूझबूझ वाला क्रिकेटर की कैटेगरी से दूर रखते थे। पर अब समय बदल गया है। वे हमेशा टीम की मदद के लिए तत्पर रहते हैं। चाहे वह बैटिंग हो या विकेटकीपिंग। वे विकेट के पीछे से अपने गेंदबाजों को मदद के लिए टिप्स भी देते हैं। यह जरूरी नहीं कि उनके सभी सुझाव सही ही हों, लेकिन यह उनके लीड करने और मैच को रीड करने की काबिलियत को दर्शाता है।
वे कभी एक्स्ट्रा सोचने से पीछे नहीं हटते हैं। वे महेंद्र सिंह धोनी की तरह आखिरी तक हार नहीं मानने और एक्सपेरिमेंट करने में विश्वास रखते हैं। उनकी यह खूबी दिल्ली को आगे बढ़ने में मदद कर सकती है। पिछली बार दिल्ली को प्लेऑफ और फाइनल में मुंबई इंडियंस ने बुरी तरीके से हराया था, क्योंकि दिल्ली ने दोनों मैचों में एक ही तरह की स्ट्रैटजी रखी थी। पंत इसमें अपना एक्स-फैक्टर वाला फ्लेवर डाल सकते हैं।
4. पंत के पास है मैच के दौरान दबाव झेलने की क्षमता
पंत में दबाव झेलने की गजब की क्षमता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी और ब्रिस्बेन टेस्ट मैच और इंग्लैंड के खिलाफ अहमदाबाद में हुए चौथे टेस्ट मैच में पंत ने जिस तरह की पारी खेली, वह केवल वही खिलाड़ी खेल सकता है जिसके पास हर तरह के प्रेशर को जज कर लेने की क्षमता हो। पंत की यह 3 पारियां मौजूदा समय के दिग्गज बल्लेबाजों ने अपने करियर के 80-90 टेस्ट मैचों में नहीं खेली होंगी।
जो बल्लेबाज कठिन परिस्थितियों में क्रीज पर उतरकर दिग्गज गेंदबाजों का सामना कर सकता है, वह कप्तानी के दबाव को भी आसानी से झेल सकता है। पंत जिस तरह से जेम्स एंडरसन को रिवर्स स्वीप पर छक्का लगाकर बल्लेबाजी में आउट ऑफ द बॉक्स सोचते हैं, निश्चित तौर पर यही चीज हमें उनकी कप्तानी में भी देखने को मिल सकती है।
5. कोच पोंटिंग, अश्विन, स्मिथ और रहाणे से मदद मिलेगी
पंत का यह IPL में कप्तान के तौर पर पहला सीजन होगा। पर उन्हें सपोर्ट करने के लिए दिल्ली के पास रिकी पोंटिंग जैसा कोच मौजूद है। पोंटिंग दुनिया के सबसे सफल कप्तानों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने अपनी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को चैम्पियन टीम बनाया था। वहीं, पंत को असिस्ट करने के लिए रविचंद्रन अश्विन जैसा समझदार खिलाड़ी भी मौजूद है।
अश्विन के क्रिकेटिंग ब्रेन के बारे में तो सब जानते हैं। इतना ही नहीं, अश्विन के अलावा स्टीव स्मिथ और अजिंक्य रहाणे जैसे IPL में कप्तानी कर चुके खिलाड़ी भी टीम में मौजूद हैं। इनकी मौजूदगी और एक्सपीरियंस का पंत बखूबी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह उन्हें IPL में एक सक्सेसफुल कैप्टन बनने में जरूर मदद करेगी। उन्हें सिर्फ IPL ही नहीं, बल्कि आने वाले समय में भारत के कैप्टन के तौर पर भी देखा जा रहा है।
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