- 1. भारत की इकोनॉमी ग्रोथ रेट फाइनेंशियल ईयर 2016-17 में 8.3% के हाईएस्ट लेवल पर पहुंचने के बाद घटती हुई 2019-20 में 4% पर आ गई थी
- 2. ग्रोथ में कमी निजी खपत में बढ़ोतरी की दर कम होने और एक बड़ी NBFC के दिवालिया होने से वित्तीय क्षेत्र को लगे झटके की वजह से आई थी
भारत की इकोनॉमी कोरोना के कारण देशभर में लगे लॉकडाउन की वजह से आई कमजोरी से काफी हद तक उबर चुकी है, लेकिन संकट पूरी तरह टला नहीं है। यह बात वर्ल्ड बैंक ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कही है। वर्ल्ड बैंक ने 2021-22 में देश की रियल GDP ग्रोथ 7.5 से 12.5 पर्सेंट रहने का अनुमान जताया है।
वर्ल्ड बैंक ने अपनी इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) की सालाना बैठक से पहले साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में उसने कहा है कि कोरोना का संक्रमण फैलने से पहले ही भारत की आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट का रुझान था। भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2016-17 में 8.3% के सबसे ऊंचे लेवल पर पहुंचने के बाद घटती हुई 2019-20 में 4% पर आ गई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान आर्थिक वृद्धि दर में कमी दो वजह से आई। पहली वजह निजी खपत में बढ़ोतरी की दर में गिरावट और दूसरी एक बड़ी NBFC के दिवालिया होने से वित्तीय क्षेत्र को लगा झटका थी।
वैक्सीनेशन प्रोग्राम और वर्ल्ड इकोनॉमी अहम फैक्टर
वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि वित्त वर्ष 2021-22 में देश की आर्थिक वृद्धि दर कितनी रह सकती है, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वैक्सीनेशन प्रोग्राम कितना कारगर होता है। सरकार कोविड के नए मामलों में हो रही बढ़ोतरी पर रोकथाम के लिए क्या कदम उठाती है और दुनिया की अर्थव्यवस्था कितनी तेजी से उबरती है।भारत की इकोनॉमी में 1 साल में हैरान करने वाला सुधार
वर्ल्ड बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट साउथ ईस्ट, हैंस टिमर ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में पिछले 1 साल में आश्चर्यजनक सुधार आया है। 1 साल पहले की स्थिति पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि कितनी गहरी मंदी का दौर आया था। आर्थिक गतिविधियां 30 से 40% घट गई थीं, वैक्सीन के बारे में कुछ साफ नहीं था, बीमारी को लेकर बड़ी अनिश्चितता थी। तब से भारत की स्थिति काफी अच्छी हुई है। यहां आर्थिक गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं, टीकाकरण शुरू हो चुका है और वैक्सीन के प्रोडक्शन में भारत सबसे आगे है।कोरोना के केस अचानक बढ़ने से हालात मुश्किल हुए
टिमर के मुताबिक, कोविड के मामले अचानक बढ़ने से हालात अब भी काफी चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं और देश में सबका टीकाकरण करना बहुत बड़ा काम है। ज्यादातर लोगों को चुनौती का सही अंदाजा नहीं है। जहां तक देश की अर्थव्यवस्था की बात है तो सुधार के बावजूद वृद्धि दर कितनी रह सकती है, इसको लेकर अनिश्चितता है। मतलब, 2 साल पहले आर्थिक वृद्धि दर बेहद कम थी और अगले 2 साल प्रति व्यक्ति आय घट सकती है।
0 Comments
नमस्ते पाठकों
दिन की बधाई!
हमारी समाचार वेबसाइट पर आने के लिए धन्यवाद।
हम हमेशा सभी देश और विदेशी देश के नए और महत्वपूर्ण समाचार पोस्ट कर रहे है
पढ़ते रहें और सीखते रहें।
धन्यवाद।