कुल वैक्सीन की आधी खुराक केवल 16% आबादी वाले अमीर देशों ने लगवा ली, कई गरीब देशों के पास वैक्सीन का एक भी डोज नहीं है


कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर दुनिया दो हिस्से में बंट गई है। पहली जिनके पास वैक्सीन हैं और दूसरी जिनके पास नहीं है। वॉशिंगटन पोस्ट कहता है कि ये अंतर, महामारी को एक कदम और आगे ले जाएगा।

वॉशिंगटन पोस्ट की एक स्टडी के अनुसार, कुल कोरोना वैक्सीन का 48% डोज अमीर देशों ने अपने नागरिकों को लगवा दिया है। जबकि इनकी आबादी दुनिया की कुल आबादी का महज 16% है। मतलब 84% आबादी वाले मध्यम वर्गीय आय और गरीब देशों में रहने वालों को 52% वैक्सीन के डोज से ही काम चलाना पड़ेगा। यहां अमीर और गरीब देश वर्ल्ड बैंक के आय वर्ग से तय हुए हैं।

इजराइल के 58% लोग दोनों डोज ले चुके हैं
19 अप्रैल तक जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक इजराइल की 60% आबादी पहला डोज ले चुकी है। जबकि 58% लोग दोनों डोज ले चुके हैं। इजराइल ने औसत से ज्यादा पैसे देकर लोगों को वैक्सीन कराया है। यहां तक कि उसने दवाई कंपनियों को अपने हेल्‍थकेयर से जुड़े डाटा मुहैया करा दिया और जल्द से जल्द अपने नागरिकों को वैक्सीनेट कराने का लक्ष्य रखा। अब तक इसमें 788 मिलियन डॉलर यानी करीब 5 हजार 910 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं। हर 1 एक लाख लोगों पर यहां 1 लाख 14 हजार से ज्यादा वैक्सीन लगाई जा चुकी हैं।

वैक्सीन के लिए 1 लाख 20 हजार करोड़ खर्च चुका है ‌‌ब्रिटेन
नेशनल ऑडिट ऑफिस एस्‍टिमेट के अनुसार ब्रिटेन ने वैक्सीन बनाने और खरीदने पर 16 बिलियन डॉलर यानी करीब 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं। यहां करीब 50% आबादी पहला डोज ले चुकी है। जबकि 16% आबादी पूरी तरह से वैक्स‌ीनेट हो चुकी है। यहां हर एक लाख लोगों में से 59 हजार 308 लोगों को पहला डोज दिया जा चुका है।

अमेरिका के 41% लोगों को पहला डोज मिल चुका है
दुनिया में सबसे ज्यादा संक्रमण का सामना कर चुका अमेरिका अब तेजी से हार्ड इम्यूनिटी की ओर बढ़ रहा है। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक इस वक्त सरकार वैक्सीन बनाने और खरीदने के ऊपर अरबों रुपए खर्च कर रही है। ऐसे में अभी तक 41% लोगों को पहला डोज दिया जा चुका है और 26% लोग वैक्सीन का दोनों डोज लेकर हार्ड इम्यूनिटी पा चुके हैं। बताया जा रहा है कि इस वक्त अमेरिका के पास जरूरत से कहीं ज्यादा वैक्सीन पड़ी हुई है। इस‌लिए बाइडेन सरकार अब डोज दूसरे देशों को देने की भी तैयारी कर रहा है।

चीली के 29% लोगों को दोनों डोज लग चुके हैं
चीली अभी महामारी के चंगुल से उबर नहीं पाया है, लेकिन तेजी से अपने देशवासियों को हार्ड इम्यूनिटी की ओर ले जाने में लगा है। अभी तक यहां की 41% आबादी को पहला डोज दिया जा चुका है और 29% दोनों डोज ले चुके हैं। हालांकि दूसरी लहर के चलते ये देश अभी नए मामलों से लड़ रहा है। यहां हर एक लाख लोगों में से 71 हजार से ज्यादा लोगों के लिए वैक्सीन तैयार है और तेजी से लोगों को वैक्सीनेट किया जा रहा है।

अमीर देशों में हंगरी भी, 35% लोगों को मिल चुका है डोज
यूरोपियन यूनियन का देश हंगरी चीन और रूस से वैक्सीन लेकर अपने देश वासियों को वैक्सीनेट करा रहा है। यहां अब तक 35% लोगों को वैक्सीन का पहला डोज दिया जा चुका है। जबकि हर एक लाख लोगों में से 49 हजार 874 लोगों को वैक्सीन का पहला डोज दिया जा चुका है। बता दें कि कनाडा और यूरोपियन यूनियन के देश इस वक्त सबसे ज्यादा वैक्सीन इस्तेमाल कर रहे हैं या फिर अपने पास रखे हुए हैं। लेकिन राजनैतिक कारणों से अभी यहां के देश कोरोना के चपेट में हैं। कनाडा और यूरोपियन यूनियन के नेताओं की लगातार इस बात के लिए आलोचना हुई कि उन्होंने वैक्सीन की डील को तय करने में काफी वक्त लिया। तब कोरोना ने तेजी से पांव पसार लिया।

92 गरीब देश 2023 तक अपनी 60% आबादी भी वैक्सीनेट नहीं करा पाएंगे, कई के पास वैक्सीन का एक डोज नहीं
ड्यूक यूनिवर्सिटी के ग्लोबल हेल्‍थ सेंटर की एक स्टडी में सामने आया कि अमीर देशों ने वैक्सीन सप्लाई का 53% अपने कब्जे में ले लिया था। इस स्टडी के अनुसार 92 गरीब देश 2023 से पहले 60% वैक्सीनेशन भी नहीं करा पाएंगे।

इतना ही नहीं सोमालिया, नॉर्थ कोरिया, यमन, लाइबेरिया और हैती जैसे कई देश हैं जिनके पास अब तक वैक्सीन का एक डोज न होने की खबरें हैं। इनके अलावा सुडान, माली, अफगानिस्तान, मुजैंबिक और तजाकिस्तान जैसे देश अपने यहां 1% आबादी को भी वैक्सीन नहीं करा पाएंगे।

भारत के हाल भी बेहाल, एक लाख में से केवल 9 हजार को मिल रही वैक्सीन
भारत लोवर-मिडिल इनकम ग्रुप का देश है। यहां अभी तक केवल 8.2% लोगों तक ही वैक्सीन का पहला डोज पहुंचा है। यहां हर एक लाख लोगों में से महज 9 हजार 488 तक ही वैक्सीन के डोज पहुंच सके हैं।

गुरुवार को ही मुंबई में कई वैक्सीन सेंटर्स के बंद होने की खबरें आईं। इन्हें वैक्सीन की कमी के चलते बंद करना पड़ा। इन दिनों सरकार की लगातार इस बात के लिए आलोचना हो रही है कि जब अपने देश के नागरिकों के लिए पर्याप्त वैक्सीन नहीं थी तो सरकार ने दूसरे देशों में वैक्‍सीन क्यों भेज दी। वैक्सीन की कमी को लेकर महाराष्ट्र समेत अन्य राज्य केंद्र पर सवाल खड़ा कर चुके हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने इसके जवाब में उन आरोपों का खंडन करते हुए उन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया था।


 

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